श्रुति-सरिता ने दिया उभरते कलाकारों को मंच : जागरण

श्रुति सरिता आर्ट की ओर से ऑनलाइन शास्त्रीय संगीत सीरीज राग रागिनी आयोजित की गई। इसमें प्रस्तुति देने वाले से लेकर संचालनकर्ता और श्रोता सभी ऑनलाइन ही उपस्थित रहे। 

 

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : श्रुति सरिता आर्ट की ओर से ऑनलाइन शास्त्रीय संगीत सीरीज राग रागिनी आयोजित की गई। इसमें प्रस्तुति देने वाले से लेकर संचालनकर्ता और श्रोता सभी ऑनलाइन ही उपस्थित रहे।

संस्थापक व शास्त्रीय संगीतज्ञ आशीष कुकरेती ने बताया कि ऑनलाइन श्रंखला शुरू करने का उद्देश्य नए कलाकारों को मंच देने के साथ उनका उत्साहवर्धन करना था। साथ ही कोरोना काल में आम-आदमी तनाव के बीच से गुजर रहा है। ऐसे में शास्त्रीय संगीत ही मानस व मानसिक रूप से आत्मिक शांति देता है और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ इस कठिन परिस्थिति में भी उभरने की शक्ति देता है। आशीष कुकरेती ने बताया कि श्रुति-सरिता आर्ट के तत्वावधान में ऑनलाइन श्रंखला का यह पहला आयोजन था। दर्शकों का अनुभव व प्रतिक्रिया उम्मीद से कहीं उत्साहवर्धक रही।

श्रुति- सरिता के संस्थापक आशीष कुकरेती का कहना है कि शास्त्रीय संगीत आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का काम करता है। संगीत की बदौलत हमारे अंदर बहुत से सकारात्मक बदलाव आए हैं। हम जैसा संगीत सुनते हैं वैसा ही हम पर प्रभाव पड़ता है। उनका कहना है कि संगीत के भले ही सात सुर हों, लेकिन उन सुरों से पूरी दुनिया बंधी हुई है। उत्तराखंड, बंगाल हो या जापान और चीन, संगीत वही है उसकी धुन बदल जाती है। जबकि शास्त्रीय संगीत ही उनका मूल है।

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देशभर के कलाकारों ने दी प्रस्तुति

आशीष कुकरेती ने बताया कि कार्यक्रम में पखावज पर आदित्यदीप (वाराणसी), तबले पर सप्तक शर्मा (दिल्ली), सरोद पर सायक बरुआ (पश्चिम बंगाल), वोकल पर मोहसिन अली खान (दिल्ली), वोकल पर आर्यन मिश्रा (वाराणसी), सितार पर सौमित्रा ठाकुर (दिल्ली), वोकल पर ललिता शर्मा (चेन्नई), बांसुरी पर डॉ.संतोष कुमार (सिक्किम), वीणा पर रवि कुमार व वायलिन पर सतेंद्र कुमार (ऋषिकेश), बांसुरी पर रजत प्रसन्ना (बनारस), वोकल पर यज्ञन्यासिनी मजूमदार (प.बंगाल), प्रश्नजित चक्रवर्ती (प.बंगाल) व तबले पर रुपक मित्रा ने प्रस्तुतियां दी।